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Karwa Chauth 2025 Date: कब है करवा चौथ व्रत ...

 

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Karwa Chauth 2025 Date:  कब है करवा चौथ व्रत .

Chauth 2025: 9 या 10 अक्टूबर? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और मंगलमय व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-सौभाग्य और स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है। हर साल की तरह 2025 में भी करवा चौथ की तारीख को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी रहती है। कई बार चंद्रोदय की स्थिति के कारण तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि 2025 में करवा चौथ किस दिन है, इसकी सही तारीख और शुभ मुहूर्त क्या है।

करवा चौथ 2025: सही तारीख क्या है? 9 या 10 अक्टूबर?

2025 में करवा चौथ का व्रत 9 अक्टूबर, गुरुवार के दिन रखा जाएगा।

भ्रम मुख्य रूप से चतुर्थी तिथि के समय और चंद्रोदय के समय के कारण पैदा होता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार:

  • कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी की शुरुआत 8 अक्टूबर 2025 को रात 09:22 बजे से होगी।

  • यह तिथि 9 अक्टूबर 2025 को रात 10:29 बजे तक रहेगी।

चूंकि करवा चौथ का व्रत चंद्रोदय के समय चंद्रमा के दर्शन के बाद ही खोला जाता है, और 9 अक्टूबर को चंद्रोदय होगा, इसलिए व्रत इसी दिन मान्य रहेगा। इस प्रकार, 9 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा और उसी दिन शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाएगा।

Karwa Chauth 2025 Date:  कब है करवा चौथ व्रत .


करवा चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त (Auspicious Timings)

व्रत के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से फल की प्राप्ति होती है। 9 अक्टूबर 2025 के लिए करवा चौथ के महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं:

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 8 अक्टूबर 2025, रात 09:22 बजे

  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 अक्टूबर 2025, रात 10:29 बजे

  • चंद्रोदय समय (Moonrise): 9 अक्टूबर 2025, रात 08:24 बजे (दिल्ली के समयानुसार, अलग-अलग शहरों में यह समय भिन्न हो सकता है)

  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:43 बजे से रात 08:24 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है।

नोट: चंद्रोदय का सही समय आपके शहर के अनुसार अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग या विश्वसनीय स्रोत से इसकी पुष्टि अवश्य कर लें।

Karwa Chauth 2025 Date:  कब है करवा चौथ व्रत .


करवा चौथ व्रत की विधि (Rituals of Karwa Chauth Fast)

करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए रहती हैं। व्रत की पूरी विधि कुछ इस प्रकार है:

  1. सुबह का समय (सूर्योदय से पहले): व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले 'सरगी' खाकर की जाती है। सरगी में माताएं या सास पूड़ी, हलवा, फल आदि बनाकर व्रत रखने वाली महिला को खिलाती हैं। यह दिन भर के उपवास के लिए शक्ति प्रदान करता है।

  2. दिन भर का व्रत: सरगी के बाद से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं व्रत कथाएं सुनती हैं, श्रृंगार करती हैं और पूजा की तैयारियों में जुट जाती हैं।

  3. शाम की पूजा की तैयारी: शाम को पूजन सामग्री जैसे करवा (मिट्टी का घड़ा), हल्दी, कुमकुम, चावल, मिठाई, फल, दीया और एक विशेष छलनी (चलनी) तैयार की जाती है।

  4. पूजन विधि: सभी महिलाएं एक साथ बैठकर पूजा करती हैं। करवा में जल, सिक्के और थोड़ी मिठाई रखी जाती है। व्रत कथा सुनाई और सुनाई जाती है। इस दौरान एक दूसरे को करवा और सिंदूर भी दिया जाता है।

  5. चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रोदय के बाद सबसे पहले चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद एक विशेष छलनी के माध्यम से चंद्रमा को देखा जाता है और फिर अपने पति को देखा जाता है। यह अनुष्ठान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

  6. व्रत खोलना: चंद्रमा के दर्शन और पति के हाथ से पानी पीकर या भोजन ग्रहण करके यह कठिन व्रत खोला जाता है। इसके बाद ही महिलाएं कुछ खाती-पीती हैं।

करवा चौथ का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक व्रत ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन महिलाएं नए कपड़े और गहने पहनती हैं, हाथों में मेहंदी सजाती हैं और सुहाग के सभी चिन्ह धारण करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के पवित्र बंधन की मजबूती का प्रतीक है। यह दिन महिलाओं के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ने, गीत गाने और खुशियां मनाने का भी अवसर होता है। आधुनिक दौर में यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण के नए अर्थों में भी देखा जाने लगा है, जहाँ कई पति भी इस दिन अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं या उनके व्रत में सहभागी बनते हैं।

Karwa Chauth 2025 Date:  कब है करवा चौथ व्रत ...


करवा चौथ की व्रत कथा का संक्षिप्त सार

करवा चौथ की कथा में मुख्य रूप से राजा वीरवान और उनकी पत्नी करवा की कहानी प्रचलित है। कथा के अनुसार, एक बार राजा वीरवान यमुना नदी में स्नान कर रहे थे तभी मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। उनकी पत्नी करवा ने अपने पति को बचाने के लिए एक योगी से मदद मांगी। योगी ने करवा के सतीत्व और पतिव्रत धर्म की शक्ति से प्रभावित होकर उसे एक मंत्र दिया। करवा ने अपने पतिव्रत के बल पर यमदेव को प्रसन्न किया और उनसे अपने पति की लंबी आयु का वरदान प्राप्त किया। इसी घटना की याद में करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। यह कथा स्त्री की शक्ति और उसके पतिव्रत धर्म की महिमा को दर्शाती है।

समकालीन संदर्भ में करवा चौथ

आज के दौर में करवा चौथ का स्वरूप थोड़ा बदला है, लेकिन इसकी आस्था और भावना वही बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों में अब करवा चौथ की थीम पार्टियां आयोजित की जाती हैं, जहाँ महिलाएं एक साथ इकट्ठा होकर पूजा करती हैं और सेलिब्रेशन का आनंद लेती हैं। बाजारों में इस दिन के लिए विशेष श्रृंगार किट, मेहंदी डिजाइन और उपहारों की भरमार रहती है। सोशल मीडिया पर भी यह दिन खूब ट्रेंड करता है, जहाँ लोग अपनी तस्वीरें और शुभकामनाएं साझा करते हैं।

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