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Dussehra 2025: किस दिन मनाया जाएगा दशहरा?

 

Dussehra 2025: किस दिन मनाया जाएगा दशहरा?

दशहरा 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक महत्व और श्रेष्ठ योग - सब कुछ एक क्लिक में

शारदीय नवरात्र का पर्व अपनी आध्यात्मिक छटा बिखेरने के बाद जब दशहरे के उत्सव का अवसर आता है, तो पूरा देश विजय और उल्लास के रंग में सराबोर हो जाता है। यह पर्व न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का उद्घोष भी करता है। आइए, जानते हैं कि वर्ष 2025 में दशहरा कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और किन दिव्य योगों के साये में यह पर्व मनाया जाएगा।

Dussehra 2025: किस दिन मनाया जाएगा दशहरा?


दशहरा 2025: कब है और क्यों है खास?

वर्ष 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा।

  • दशमी तिथि: आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 1 अक्टूबर की रात 07:01 बजे से आरंभ होकर 2 अक्टूबर की रात 07:10 बजे तक रहेगी। चूंकि तिथि का अंत दिन के समय हो रहा है, इसलिए पर्व का celebrations अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को किया जाएगा।

विजय मुहूर्त: सबसे शुभ समय कब है?

इस बार दशहरे का सबसे शुभ समय यानी 'विजय मुहूर्त' दोपहर 01:21 बजे से 03:44 बजे तक है। इस अवधि में पूजा-अर्चना, रावण दहन और कोई भी नया शुभ कार्य प्रारंभ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

दिव्य योग और नक्षत्र: क्यों बना रहा है 2025 का दशहरा विशेष?

इस वर्ष दशहरे के दिन कुछ अत्यंत शुभ योग और नक्षत्र बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी खास बना रहे हैं:

  1. रवि योग (पूरा दिन): यह योग सूर्यदेव की ऊर्जा से भरपूर है, जो आत्मबल, आत्मविश्वास और सफलता दिलाने में सहायक है। इस दिन किया गया कोई भी प्रयास सफल होता है।

  2. सुकर्म योग (2 अक्टूबर की रात 12:35 बजे से 11:29 बजे तक): जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह योग अच्छे कर्मों का फल देने वाला है। इस दौरान किए गए धार्मिक, शैक्षणिक या व्यावसायिक कार्य विशेष लाभ दिलाते हैं।

  3. धृति योग (सुकर्म योग के बाद): यह योग धैर्य और स्थिरता प्रदान करता है। इसके प्रभाव में लिए गए निर्णय टिकाऊ और सही साबित होते हैं।

  4. नक्षत्रों का शुभ संयोग:

    • उत्तराषाढ़ा नक्षत्र (सुबह 09:13 बजे तक): यह नक्षत्र दृढ़ संकल्प और विजय का प्रतीक है।

    • श्रवण नक्षत्र (सुबह 09:13 बजे के बाद): यह भगवान विष्णु का प्रिय नक्षत्र है, जो ज्ञान और भक्ति का प्रतीक है। इस नक्षत्र में किए गए धार्मिक कार्य अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।


दशहरा मनाने का धार्मिक और दार्शनिक महत्व

दशहरा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक संदेश है। यह दिन हमें दो प्रमुख घटनाओं की याद दिलाता है:

  1. श्रीराम की विजय: इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया और धर्म की स्थापना की।

  2. मां दुर्गा की विजय: इसी दिन मां दुर्गा ने नौ रात्रियों तक चले भीषण युद्ध के बाद महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।

इस प्रकार, दशहरा हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य, धर्म और अच्छाई की ही जीत होती है। रावण के पुतले का दहन इसी विश्वास का प्रतीकात्मक प्रकटीकरण है।

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