yesudas in hindi. येसुदास: हिंदी संगीत का चमकता सितारा |
येसुदास: हिंदी संगीत का चमकता सितारा |
जे. येसुदास, जिनका पूरा नाम कट्टास्सेरी जोसेफ येसुदास है, भारतीय संगीत जगत के एक ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी मधुर आवाज़ से करोड़ों दिलों को छुआ है। उनका जन्म 10 जनवरी, 1940 को केरल के फोर्ट कोच्चि में हुआ। उनके पिता अगस्टिन जोसेफ, एक प्रसिद्ध मलयालम शास्त्रीय संगीतकार और अभिनेता थे। येसुदास के संगीत का सफर उनके पिता के मार्गदर्शन में ही शुरू हुआ। सात साल की उम्र में ही उन्होंने फ़ोर्ट कोच्चि में आयोजित एक स्थानीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर अपने संगीत कौशल का प्रमाण दिया।
येसुदास के हिंदी गाने |
येसुदास ने हिंदी फिल्म जगत में 1970 के
दशक में कदम रखा और अपने गानों से बॉलीवुड संगीत प्रेमियों के दिलों में जगह बनाई।
उनके गाए गए हिंदी गानों की संख्या सैकड़ों में है। उन्होंने ‘चितचोर’, ‘मेघा’, और
‘सदमा’ जैसी फिल्मों में ऐसे गाने गाए जो आज भी सदाबहार हैं। उनका गीत
‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’
एक ऐसा नगमा है जिसे सुनकर हर कोई उनके
सुरों का दीवाना हो जाता है।
How many Hindi songs has Yesudas sung? येसुदास
ने सैकड़ों हिंदी गाने गाए हैं, जिनमें से कई गाने सुपरहिट हुए हैं।
उनकी आवाज़ में वो खासियत है जो हर पीढ़ी के लोगों को आकर्षित करती है।
येसुदास के सुपरहिट हिंदी गाने |yesudas in hindi
येसुदास ने कई सुपरहिट गाने गाए हैं, जिनमें
से कुछ के नाम नीचे दिए गए हैं:
- गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा (चितचोर)
- सूरमई अंखियों में (सदमा)
- जब दीप जले आना (चितचोर)
- कोई गाता मैं सो जाता (आलाप)
- दिल के टुकड़े-टुकड़े करके (धर्मा)
इन गानों ने उन्हें हिंदी फिल्म जगत में
अमर बना दिया।
येसुदास का पहला हिंदी गाना कौन सा था?
What is the first song of Yesudas? येसुदास
का पहला हिंदी गाना फिल्म ‘जय जगत’ का था, जिसमें उन्होंने अपनी आवाज़ से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
हालांकि, उनके करियर का बड़ा ब्रेक फिल्म ‘चितचोर’ के
गाने ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’
से मिला।
· फिल्म चितचोर के इस गीत के साथ जिसने उन्हें दिलवाया राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शुरूआत करते हैं - गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा...
गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा
आ के यहाँ रे
उस पर रूप तेरा सादा
चन्द्रमा जूँ आधा,
आधा जवाँ रे
·
गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा
आ के यहाँ रे
आ के यहाँ रे
जी करता है मोर के पैरों में
पायलिया पहना दूँ
कुहू-कुहू गाती कोयलिया को
फूलों का गहना दूँ
यहीं घर अपना बनाने को
पंछी करे देखो
तिनके जमा रे,
तिनके जमा रे
गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा
आ के यहाँ रे
आ के यहाँ रे
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
लोग भी फूलों जैसे
आ जाए इक बार यहाँ जो
जायेगा फिर कैसे
झर झर झरते हुए झरने
मन को लगे हरने
ऐसा कहाँ रे,
ऐसा कहाँ रे
येसुदास ने गायन क्यों छोड़ा?
Why did Yesudas stop singing? येसुदास
ने कभी आधिकारिक रूप से गायन नहीं छोड़ा। लेकिन उम्र और स्वास्थ्य कारणों से
उन्होंने अपने सार्वजनिक प्रदर्शनों की संख्या कम कर दी। इसके बावजूद, वे
भक्ति संगीत और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में सक्रिय रहे। उनका योगदान आज भी संगीत
प्रेमियों के दिलों में जिंदा है।
येसुदास का योगदान और सम्मान
येसुदास ने न केवल हिंदी बल्कि मलयालम, तमिल, कन्नड़, तेलुगु
और बंगाली भाषाओं में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। उन्होंने 25,000 से
अधिक गाने गाए हैं और सात बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। उन्हें 1977 में
पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2017
में पद्मविभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा
गया।
निष्कर्ष
येसुदास का संगीत, उनकी
मधुर आवाज़ और उनकी विनम्रता उन्हें सच्चा कलाकार बनाती है। उनके गाए गाने आज भी
श्रोताओं के दिलों को छूते हैं। ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’ जैसे
गाने यह साबित करते हैं कि उनका संगीत कालातीत है। हिंदी संगीत में उनका योगदान
हमेशा याद रखा जाएगा।
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