Shadab Jakati news.कौन है Shadab Jakati
कौन है Shadab Jakati — मजदूर से सोशल-मीडिया स्टार तक
शादाब जकाती मेरठ (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी की शुरुआत मजदूरी और सऊदी अरब में ड्राइवरी जैसी नौकरी से की। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने सोशल मीडिया पर कॉमेडी वीडियो बनाना शुरू किया और अपने देसी अंदाज़ से लोगों को खूब हंसाया।
उनका लोकप्रिय डायलॉग —
“10 रुपये वाला बिस्कुट का पैकेट कितने का है जी?”
ने उन्हें रातों-रात मशहूर बना दिया।
टिकटॉक बैन होने के बाद उन्होंने Instagram, Facebook और YouTube पर कंटेंट डालना शुरू किया और लाखों फॉलोअर्स जुटा लिए। मजदूरी से डिजिटल स्टार बनने तक का उनका सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया।
विवाद और गिरफ्तारी: वह रील जिसने उनकी छवि बदल दी
सफलता के साथ-साथ विवाद भी सामने आया। हाल ही में उनकी एक रील वायरल हुई जिसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग बच्ची को शामिल कर अशोभनीय कंटेंट बनाया। इस शिकायत के बाद मेरठ पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ।
हालाँकि उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई और गिरफ्तारी के कुछ ही समय बाद वह बाहर आ गए। पुलिस कार्रवाई के बाद शादाब ने वह वीडियो डिलीट कर दिया और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली।
उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था। लेकिन इस घटना ने उनकी छवि और करियर को झटका जरूर दिया।
कितनी हो सकती थी उनकी कमाई?
शादाब जकाती के Facebook और Instagram पर मिलाकर लाखों फॉलोअर्स हैं। इसी वजह से ब्रांड प्रमोशन, वीडियो monetization और collaborations के जरिए उनकी कमाई अच्छी-खासी हो जाती थी।
कंटेंट क्रिएटर इंडस्ट्री के हिसाब से:
✔ लाखों फॉलोअर्स वाले इन्फ्लूएंसर प्रति पोस्ट/रील हजारों से लाखों रुपये तक कमा सकते हैं
✔ ब्रांड प्रमोशन से क्रिएटर्स की मासिक कमाई ₹1.5 लाख से ₹6 लाख या उससे अधिक तक जा सकती है
✔ कमाई पूरी तरह वीडियो reach और engagement पर निर्भर करती है
हालाँकि विवादों के बाद ब्रांड्स पार्टनरशिप रोक भी सकते हैं — इसलिए यह आय स्थिर नहीं होती।
फेम के साथ ज़िम्मेदारी भी ज़रूरी
शादाब जकाती की कहानी दिखाती है कि सोशल-मीडिया आज आम इंसान को स्टार बना सकता है। लेकिन यह भी सच है कि
पॉपुलैरिटी के साथ ज़िम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ जाती है।
एक वायरल वीडियो से मिली चमक —
एक गलत वीडियो से धुंधली भी हो सकती है।
शादाब का सफर इस बात की याद दिलाता है कि कंटेंट बनाते वक्त सामाजिक मर्यादा और बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानूनों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।

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