india vs iran 2025 भारत बनाम ईरान: एक ऐतिहासिक फुटबॉल प्रतिद्वंद्विता का सफर
भारत बनाम ईरान: एक ऐतिहासिक फुटबॉल प्रतिद्वंद्विता का सफर
फुटबॉल की दुनिया में कुछ मुकाबले सिर्फ एक मैच नहीं होते, बल्कि वे इतिहास, संस्कृति और जुनून की टक्कर होते हैं। भारत और ईरान के बीच फुटबॉल का रिश्ता कुछ ऐसा ही है। यह केवल दो टीमों का खेल नहीं, बल्कि एशियाई फुटबॉल के दो अलग-अलग ध्रुवों की कहानी है। एक तरफ ईरान है, जो एशिया की टॉप-रैंकिंग टीमों में शुमार है और जिसने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों को चुनौती दी है। दूसरी तरफ भारत है, एक सोया हुआ दानव, जो अपनी पुरानी शान को वापस पाने की कोशिश में जुटा है।
एक झलक: ऐतिहासिक आंकड़े (Head-to-Head Stats)
आंकड़े चौंकाने वाले हैं, लेकिन ईरान की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं:
कुल मुकाबले:
ईरान की जीत:
भारत की जीत:
ड्रॉ:
गोल: ईरान ने 49 गोल किए, जबकि भारत ने सिर्फ
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि ऐतिहासिक रूप से ईरान इस प्रतिद्वंद्विता पर हावी रहा है।
शुरुआती दिन: 1950s-1960s का स्वर्णिम दौर
भारत और ईरान के बीच पहला मुकाबला 1951 में एशियाई खेलों में हुआ था, जहां भारत ने ईरान को 1-0 से हराकर सबको चौंका दिया था। उस जमाने में भारतीय फुटबॉल अपने स्वर्णिम दौर में था। 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारत ने सेमीफाइनल में जगह बनाई थी और 'बारेफुट' लेजेंड पेले के जमाने की बात करते थे।
1960 में रोम ओलंपिक के क्वालीफायर में भारत ने ईरान को 3-1 और 1-1 के स्कोर से अपने घर में ही अच्छी टक्कर दी थी। उस वक्त का मुकाबला बराबरी का था और भारत की टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी हुआ करते थे।
बदलता पैमाना: 1970s और उसके बाद
1970 के दशक से स्थिति बदलने लगी। ईरान ने एशियाई फुटबॉल पर अपना दबदबा कायम किया और लगातार तीन एशियन कप (1968, 1972, 1976) जीते। इसी दौरान, 1974 के तेहरान एशियाड में ईरान ने भारत को 5-0 से मात देकर अपनी ताकत का परिचय दिया।
इसके बाद का इतिहास लगभग एकतरफा रहा है। ईरान ने विश्व कप में भी हिस्सा लिया, जबकि भारत अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में पिछड़ता चला गया। 2000 के बाद के मुकाबलों में ईरान ने भारत को अक्सर भारी अंतर से हराया, जैसे 2004 के विश्व कप क्वालीफायर में 7-0 और 3-0 से जीत।
हाल के मुकाबले और बदलती सोच
हाल के वर्षों में, भारतीय फुटबॉल में एक नई ऊर्जा और संरचना देखने को मिली है। इस्तवान कोवाक्स और इगोर स्टिमैक जैसे कोचों की देखरेख में भारत की टीम ने अपने डिफेंसिव गेम में काफी सुधार किया है।
इस बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण था 2023 की एशियन कप। जनवरी 2025 में, भारत ने ईरान के खिलाफ एक बेहद शानदार डिफेंसिव प्रदर्शन किया। भारत ने पहले हाफ में ईरान की ताकतवर अटैकिंग लाइन को रोके रखा और गोल होने नहीं दिया। हालांकि, दूसरे हाफ में भारत के स्टार डिफेंडर रहने चेत्री को रेड कार्ड मिल गया, जिसके बाद 10 खिलाड़ियों से खेल रही भारतीय टीम अंततः 4-1 से हार गई। लेकिन इस मैच ने साबित कर दिया कि भारत अब पहले जैसी 'आसान' टीम नहीं रही। वे अब संगठित होकर खेलते हैं और बड़ी टीमों को भी चुनौती दे सकते हैं।
महत्वपूर्ण खिलाड़ी और उनका योगदान
ईरान के लिए:
सरदार अजमून: टीम का कप्तान और मुख्य गोलस्कोरर। प्रीमियर लीग में खेलने वाले इस स्टार की अटैकिंग स्किल्स दुनियाभर में मशहूर हैं।
मेहदी तारेमी: पुर्तगाल की लीग में खेलने वाले यह फॉरवर्ड गोल बनाने और असिस्ट देने में माहिर हैं।
भारत के लिए:
सुनिल चेत्री: भारतीय फुटबॉल के 'कैप्टन फैंटास्टिक' और सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी। उनका नेतृत्व और अनुभव टीम के लिए अमूल्य है।
गुरप्रीत सिंह संधू: भारत के स्टार गोलकीपर। उनकी शानदार सेव्स ने कई मौकों पर भारत को मुश्किलों से बचाया है।
भविष्य की राह
भारत बनाम ईरान का मुकाबला अब पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गया है। भारत अब डरकर नहीं, बल्कि मुकाबला करने की मानसिकता के साथ खेल रहा है। भविष्य में, जैसे-जैसे भारतीय फुटबॉल की इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियाद) मजबूत होगी और युवा खिलाड़ी और विकसित होंगे, यह प्रतिद्वंद्विता और भी ज्यादा कड़ी और रोमांचक होती जाएगी।
भारत और ईरान का फुटबॉल रिश्ता एशियाई फुटबॉल के इतिहास का एक दिलचस्प अध्याय है। यह एक तरफ ईरान की लगातार सफलता की कहानी है, तो दूसरी तरफ भारत के संघर्ष और पुनरुत्थान की कहानी भी है। हाल के मुकाबले बताते हैं कि अब मैच पहले से कहीं ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। भारत की टीम अब केवल प्रतिष्ठा बचाने नहीं, बल्कि जीतने की सोच के साथ मैदान में उतरती है। यही वजह है कि अगली बार जब भी 'मेलबर्न का चमत्कार' याद दिलाने वाली ये दोनों टीमें आमने-सामने होंगी, तो हर फुटबॉल प्रेमी की नजर उस मैच पर होगी।
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