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chandra grahan 2025 in hindi. चंद्र ग्रहण कब लगेगा ?

 

chandra grahan 2025 in hindi. चंद्र ग्रहण कब लगेगा ?

इस बार होली के रंग में भंग डालेगा साल का पहला चंद्र.ग्रहण.

दोस्तों होली के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा तेरह मार्च को होलिका दहन होगा और चौदह मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी.

Chandra grahan 2025 in hindi में चंद्र ग्रहण कब लगेगा .2025

लेकिन इस बीच चौदह मार्च को चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. फिर इसी महीने उनतीस मार्च को शनि का राशि परिवर्तन भी होगा और सूर्य ग्रहण भी रहेगा।. आईए दोस्तों देखते हैं इस चंद्रघन के बारे में जानकारी चंद्र ग्रहण का क्या असर पड़ेगा. आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. होली के त्योहार के मौके पर और ना सिर्फ चंद्रग्रहण का प्रभाव रहेगा बल्कि इस बार होलिका दहन पर.

effect of lunar eclipse. चंद्रग्रहण का प्रभाव

सुबह से लेकर रात तक भद्ररा का साया भी रहेगा और अभी होलास्टिक भी लगे हुए हैं तो इस दौरान कोई शुभ कार्य भी नहीं किए जाते हैं और इस बार होलिका दहन के दिन तेरह तारीख को दिन भर भद्ररा का साया रहने के चलते हैं. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भी रात में एक हज़ार सौ तीस बजे बाद बताया जा रहा है क्योंकि भद्र काल की समाप्ति के पश्चात ही होलिका दहन होगा. रात में एक हज़ार एक सौ अट्ठाईस मि.

बाद फिर अगले दिन रंगों का पर्व दुल्हैंड खेली जाएगी. लेकिन दल्हैंड पर चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. हालांकि दोस्तों यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूत काल भी मान्य नहीं होगा. तो चौदह तारीख को पूरे दिन भर.

क्या काम हो सकेंगे ? what work can be done.

लेकिन फिर भी आपको कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये इस साल दौ हज़ार पच्चीस का पहला चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. वैसे जनरली चंद्रग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले सूतक कल शुरू हो जाता है, लेकिन यह ग्रहण पूर्ण ग्रहण के रूप में भारत में दिखाई नहीं देगा. इस कारण हमारे देश में तो इसका सूतक कल का प्रभाव भी नहीं होगा|

क्योंकि जब चंद्र ग्रहन का सूतक लगा होता है तो उसे दरमियां मंदिरों में पूजा पाठ नहीं किए जाते, मंदिर वगैरा भी बंद रहते हैं. फिर ग्रहण खत्म होने के बाद ही सूतक खत्म होता है. फिर मंदिरों का शुद्ध ग्रहण होता है और फिर जाकर पूजापाठ धर्म कर्म अधिकारी किए जाते हैं. लेकिन इस बार ये राहत की बात है की चौदह मार्च का ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने से यहां सूतकाल मान्य नहीं रहेगा. इस वजह से पूरे दिन भर.

Scientific approach . वैज्ञानिक दृष्टिकोण

धर्म, कर्म, पूजा-पार, दान, धर्म आदि से जुड़े शुभ काम किए जा सकते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखा जाए दोस्तों तो चंद्र ग्रहण एक तरह की खगोलीय घटना है जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के साथ चलते हैं और पृथ्वी, सूर्य और चंद्र ये तीनों ग्रह जब एक ही सीधी लाइन में जाते हैं|

पृथ्वी जो है वो चंद्रमा और सूर्य के बीच जाति है तब उसे खगोलीय घटना को हम चंद्र ग्रहण कहते हैं. चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही होता है. ऐसे में आपको कुछ खास बातें इस बार ध्यान रखनी चाहिए. चौदह मार्च होली पर चंद्रग्रहण रहेगा. इस साल होलीिका दहन तेरह मार्च की रात को होगा और चौदह मार्च को होली खेली जाएगी.

ये चंद्रगण भारत में तो दिखाई नहीं देगा लेकिन अमेरिका वेस्ट यूरोप, पैेसिफिक और वेस्ट अफ्रीका में दिखाई देगा. भारतीय समयीसा अगर चंद्रग्रण के समय की बात करें तो सुबह एक हज़ार बज उनतालीस से शुरू होगा जो की दोपहर दौ सौज अठारह पर समाप्त होगा.

2025 में चंद्र ग्रहण कब है ? When is the lunar eclipse in 2025

फिर दोस्तों इस चंद्र ग्रहण के बाद इसी महीने उनतीस मार्च को चैत्रमाोस्या पर सूर्य ग्रहण भी होने जाना हालांकि यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतकाल भी माने नहीं होगा तो चैत्रमावस्या से जुड़े भी सभी धर्म कर्म पूरे दिन किए जा सकेंगे और ये आने वाला सूर्य ग्रहण भी नॉर्थ वेस्ट अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ रूस में दिखाई देगा. और तीस मार्च से ही हिंदी पंचांग का नव संवत भी शुरू हो जाएगा. दौ हज़ार बियासी.

विक्रम संवत दौ हज़ार बियासी की शुरुआत होगी और इसी दिन से गुड़ी परडवाह भी मनाया जाएगा और चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होगी और दोस्तों हर साल चैत नवरात्रि के साथ ही हिंदू नव वर्ष शुरू हो जाता है. इस बार विक्रम सं. दौ हज़ार बियासी शुरू होगा जो अभी दौ हज़ार इक्यासी चल रहा है|

वो समाप्त हो जाएगा ये विक्रम संवत की शुरुआत मध्य प्रदेश उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने की थी इसलिए उनके नाम पर इस संवत को विक्रम संवत कहा जाता है. जैसे अभी अंग्रेजी वर्ष के हिसाब से दौ हज़ार पच्चीस चल रहा हिंदी नव वर्ष के हिसाब से अब दौ हज़ार बियासी शुरू हो जाएगा. ठीक है तो ये तो कुछ खास बातें हो गई अब देखते हैं दोस्तों.

जैसा की मैंने आपको बताया चंद्रग्रहण  रहा है | इस बार होली पर तो चंद्र ग्रहण का ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक तरीके से कई महत्व होता है. भले ही यह चंद्रगण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन उसके बावजूद आपको कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए. तो फटाफट से देख लीजिए चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ काम ऐसे जो नहीं करने चाहिए. जैसे जब तक चंद्र ग्रहण समाप्त नहीं हो जाता |

उस दौरान तक किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए. हालांकि इस बार तो सूतकाल नहीं होगा तो आप कर सकते हैं लेकिन फिर भी अवॉइड करें तो ज्यादा बेहतर है. जनर ग्रहन के दौरान या सूर्य ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए. गर्भवती महिलाओं को चंद्रघन के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए. घर से बाहर ना निकले और चंद्रघण को देखें भी नहीं.

ग्रहण के समय करें यह काम ?

ध्यान रखें यह काम जरूर करने चाहिए और ग्रहण शुरू होने से पहले ही तुलसी के पत्ते आपके घर के खाने-पीने की चीजों में पानी की टंकी में इनमें अवश्य डा दें क्योंकि ऐसा माना जाता है| दोस्तों कि चंद्रग्रण के समय बहुत अधिक नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद भी आपको अपने पूरे घर में गंगाजल अवश्य छिड़कना चाहिए |. बाकी चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा के इस बी मंत्र का एक या पांच बार अवश्य जाप करें |. मंत्र आप लेख में देख सकते हैं | ओम श्र श्रीीम सम सा.चंद्राय नमः.

तो ये तो बातें हो गई चंद्रघन से जुड़ी और बाकी दोस्तों अभी होलास्टक चल रहे हैं. सात मार्च से होलास्टिक शुरू हो चुके हैं।. चौदह मार्च से होली के बाद की शुरुआत हो जाएगी तो फिर आगे आने वाले अगले महीने तेरह अप्रैल तक कोई भी शुभ कार्य जैसे मुंडन, संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह, शादी, सगाय, मंगनी जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे |. इनके लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहेंगे. फिर तेरह अप्रैल के बाद ही वापस इन शुभ कार्यों की शुरुआत होगी.

ठीक है और जैसा की मैंने आपको बताया. होली का दहन वाले दिन भद्ररा का साया रहेगा तेरह मार्च को सुबह करीब |

एक सौ बीस से ही बद्रना शुरू हो जाएगी जो की रात में एक हज़ार एक सौ तीस तक एक सौ ग्यारह बजे तक बदला रहेगी. और बद्रना के समय होलीिका दहन नहीं करना चाहिए. इस करण इस बार होलिका दहन भी तेरह मार्च की रात में एक सौ तीस बजे |.

बाद ही करना ज्यादा शुभ रहेगा फिर दूसरे दिन चौदह मार्च से रंग वाली होली रहेगी और उसके साथ ही खरब शुरू हो जाएगी और वह दोस्तों इस साल का दूसरा चंद्रगण जो होगा मार्च के बाद वो सात आठ सितंबर को लगेगा वो पूर्ण चंद्रगण होगा और भारत में भी दिखाई देगा | 

ठीक है तो ये दोस्तों चंद्र गहन होलिका दहन से जुड़ी कुछ खास महत्वपूर्ण बातें आपको जरूर जानने को मिली होगी |  वैसे आप कौन से राज्य में रहते हैं और आपके राज्य में होली के त्यौहार को कैसे मनाया जाता है कमेन्ट बॉक्स लिख करके बताइए रंगों के साथ अगर आप भी होली खेलें तो सावधानी से खेलें |




Disclaimer 


यह अस्वीकरण केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और किसी भी प्रकार की कानूनी या पेशेवर सलाह का विकल्प नहीं है।


1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
चंद्र ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के कारण होती है। यह जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से प्रदान की गई है।

2. धार्मिक मान्यताएं:
विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में चंद्र ग्रहण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और मिथक प्रचलित हैं। यह जानकारी किसी भी धार्मिक विश्वास को बढ़ावा देने या उसकी आलोचना करने के उद्देश्य से नहीं है।

3. स्वास्थ्य संबंधी सलाह: चंद्र ग्रहण के दौरान खाने-पीने या अन्य गतिविधियों से जुड़ी सलाह विभिन्न स्रोतों पर उपलब्ध है। कृपया किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श करें।

4. सटीकता: चंद्र ग्रहण की तिथि, समय और प्रभाव से संबंधित जानकारी विभिन्न खगोलीय गणनाओं पर आधारित है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या अंतर के लिए जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की जाएगी।

5. उपयोग की जिम्मेदारी: इस जानकारी का उपयोग पाठक की अपनी जिम्मेदारी पर है। लेखक या प्रदाता किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

6. अन्य स्रोत:
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए विश्वसनीय खगोलीय संस्थानों, वैज्ञानिक शोधों या विशेषज्ञों से परामर्श करना उचित है।





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