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How to deal with someone who won't admit they are wrong . किसी ऐसे व्यक्ति को कैसे समझाएं जो स्वीकार नहीं करता कि यह गलत है

 

How to deal with someone who won't admit they are wrong . किसी ऐसे व्यक्ति को कैसे समझाएं जो स्वीकार नहीं करता कि वह गलत है |





अधिकांस लोगों के मन में यह सबाल उठता है की जब किसी की कोई गलती होती है और हम उसे उसकी गलती को मनवाने की कोशिश करते है | और यह अपेच्चा रखते है की बह अपनी गलती को मान ले लेकिन दूसरा बह ब्यक्ति यह मानेने के लिए बिलकुल तैयार नही होता की मेरी कोई गलती है भले ही उसकी गलती हो इस बीच अक्सर हम उसको उसकी गलती का एहसास दिलाने की कोशिश करते है और इस कोशिश में अक्सर हम कामयाब नहीं हो पाते  और बार बार उस्ससे बहस करने लगते है और  इस बात को लेकर  कभी कभी बात काफी हद तक बढ़ जाति  है

तब हमारे मन में यह सबाल बार बार उठता है की अब हम इसे इसकी गलती का एहसास कैसे दिलाएं और कैसे बह ब्यक्ति खुद अपनी गलती को मान ले | इस बात को लेकर कई अलग अलग विचार है लेकिन हम आज आपको उस जानकारी से अबगत कराएँगे जो आप को काफी हद तक इस सबाल का जबाब देने में सहायक होगी |

स्वीकार नहीं करता कि वह गलत है : किसी ब्यक्ति का उस्क्की गलती स्वीकारना उसके नेचर पर निर्भर करता है जो लम्बे अरसे से बिकसित होते है जिनको उस व्यक्ति की आदत भी कहा जाता है किसी व्यक्ति की सालों की आदत को क्या हम चन मिनट या घंटों में बदल सकते हैं यह सबाल हमें अपने आप से पूंछना है | तो इसका जबाब होगा नहीं | जब हमें यह समझ में आ जाता है की किसी की आदत को हम इतनी आसानी से नहीं बदल सकते | तो हम उसेसे बहस करना छोड़ देते है |

व्यक्ति का प्राकृतिक व्यक्तित्व हर व्यक्ति का नेतृत्व प्रकृति पर निर्भर करता है ,यानि जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है तब उसके नेचर उसके रहन सहन बातावरण,बहाँ के व्यक्तित्व माहौर पर निर्भर होता है | क्योकि बचपन से लेकर बड़े होने तक हमारे दिमाग में बह सारी जानकारी जो भी हम दूसरों को करते हुए देखते हैं सुनते हैं करते है उसी के हिसाब से हमारें दिमाग में सही गलत मानना या ना मानना क्या अच्छा क्या बुरा अपनी गलती का अहसास करना या ना करना निर्भर करता है | जिसको हम व्यक्ति का नेचर कह सकते है यह हर ब्यक्ति में अलग अलग संस्कार के रूप में जाना जाता है | जिसको बन्ने में सालों लग जाते है | संस्कार भी दो तरह के होते है अच्छे और बुरे जो व्यक्ति अछे माहौल में रहता है बह अच्छे संस्कार पाटा है उसी तरह जो व्यक्ति ऐसे माहौल में रहता है जिसे यह सिखाया ही नहीं जाता है की सही और गलत क्या है अगर गलत कर रहा हूँ तो मुझे यह मानना की मेरी गलती है अच्छे संस्कार कहलाते है |

क्या हम उसे समझाने की कोशिश न करें  : किसी  ब्यक्ति का समझना या ना समझना उसके खुद पर निर्भर करता आपका फर्ज समझाने का है एक बार या दो बार उसके बाद यदि बह नहीं समझता तो यह उसके नेचर पर छोड़ दीजिये | हमें दूसरों को बदलने से पहले खुद को बदलना होगा दूसरों को समझाने से पहले खुद को समझना होगा जैसे कोई अध्यापक किसी को पढ़ाने से पहले खुद पढता है उसी प्रकार हमें दूसरों को समझाने की बजाय खुद समझने की जरूरत है | जिससे हम बेहतर बन सके  | और समाज में हम से कोई ब्यक्ति खुद कुछ सीख सके और खुद अपने आपको बदल सके |

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